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रविवार, 13 सितंबर 2009

गुरु को दी अनूठी विदाई

गुरु का स्थान जीवन में सबसे बड़ा होता है, उनके प्रति सम्मान का भाव प्रकट करने के सबके अपने तरीके होते है। पिछले दिनों मुंबई के खासला कॉलेज के छात्रों ने अपने प्रधानाचार्य को कुछ इस प्रकार विदाई दी कि उनका मन अपने विद्यार्थियों को लेकर गर्व से भर उठा। विद्यार्थियों ने अपने प्रधानाचार्य डॉ. अजीत सिंह की विदाई के मौके पर यह तय किया कि वे अपने प्रिय शिक्षक के वजन के बराबर रक्त दान करेगे।
विदाई वाले दिन सुबह 11 बजे रक्तदान का कार्यक्रम शुरू हुआ जो सायं 5 बजे तक चला। इस रक्तदान में कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया। सबसे ज्यादा आनंद की बात यह रही कि छात्रों ने प्रधानाचार्य के वजन के बराबर 68 बोतल रक्तदान का लक्ष्य रखा था, पर इससे कहीं ज्यादा रक्तदान हुआ। विद्यार्थियों ने 73 बोतल रक्तदान किया, जिसे बाद में जरूरतमंदों की मदद के लिए सरकारी ब्लडबैंक को सौंप दिया गया। खालसा कॉलेज में इससे पहले भी कई बार रक्तदान शिविर आयोजित किए गए है, पर यह पहला मौका है जब किसी शिक्षक की विदाई के लिए विद्यार्थियों ने रक्तदान कार्यक्रम के आयोजन का फैसला किया।
इस मौके पर प्राचार्य डॉ. सिंह ने अपने हदय के उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि विद्यार्थियों की इस पहल ने मेरे दिल को छुआ है। मुझे इस संबंध में पहले कोई जानकारी नहीं थी। यह मेरे लिए सरप्राइज था। इस प्रकार की विदाई से अन्य संस्थानों को भी प्रेरणा मिलेगी। विदाई का इससे अच्छा तरीका और कुछ नहीं हो सकता। खालसा कॉलेज के प्रोफेसर प्रवीश विश्वनाथ कहते है कि रक्तदान मानवता की सहायता के लिए है। यह गुरु-शिष्य परंपरा का अनुकरणीय उदाहरण है और समाज में नए रक्त संचार का प्रतीक है। 
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एक ये छात्र है जो अपने गुरु को एक अनूठी विदाई देने के लए अपना खून बहा रहे है और रक्त दान जैसा पुनीत कार्य भी कर रहे है | दूसरी ओर कुछ वो छात्र है जिन्होंने अपने गुरु का रक्त बहाने जैसा घिनोना कार्य किया था और आज भी मज्जे से आजाद घूम रहे है  | यहाँ देखे :-

न्याय न होने का सबूत -- सभरवाल हत्याकांड

खैर साहब, हमे क्या....... ना तो हमने कभी गुरु को खून दिया..........और ना ही गुरु का खून बहाया .....

अपनी तो भैया एक बहुत बुरी आदत है सो बोल रहे है कि ........ जागो सोने वालो .........

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