फ़ॉलोअर

सोमवार, 21 सितंबर 2009

'मितव्ययता' के नाटक - बेमुरव्वत सांसद, लाचार सरकार


सादगी बरतने और सरकारी खर्च में कटौती करने के संप्रग सरकार के प्रयास आजकल पूरे देश में चर्चा में है। सरकार अपने मंत्रियों और सांसदों को मितव्ययता बरतने की दुहाई दे रही है, लेकिन पिछले पांच वर्षो का उसका बही-खाता कुछ और ही कहानी बयां करता है। इस दौरान मंत्रियों और सांसदों के आवास चमकाने में एक अरब रुपये खर्च हुए। लेकिन मंत्रीजी का दिल मांगे मोर। तभी तो पुराने मंत्री सरकारी आवास खाली नहीं कर रहे तो दूसरी तरफ नए मंत्रियों को अपने सरकारी आवास पसंद नहीं आ रहे।
 
फिजूलखर्ची है कि रुकती नहीं

मुंबई के चेतन कोठारी ने सूचना के अधिकार [आरटीआई] के तहत याचिका दायर की थी। जो जवाब मिला वह चौंकाने वाला है। सरकार पिछले पांच वर्षो में लुटियंस जोन में सांसदों व मंत्रियों के बंगलों के रख-रखाव पर 93 करोड़ 53 लाख रुपये खर्च कर चुकी है।
नगरीय विकास मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाले संपदा विभाग के उपनिदेशक जेपी रथ ने बताया कि सांसदों के बंगलों के रख-रखाव का जिम्मा केंद्रीय लोकनिर्माण विभाग का होता है। इसके लिए पिछले पांच वर्षो में 93.5 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
सांसदों को मुफ्त सरकारी आवास की सुविधा मिलती है। लाइसेंस फीस के रूप में उन्हें सिर्फ 105 रुपये देने पड़ते हैं। कोठारी के मुताबिक आप सांसदों के बंगलों में जाएं तो आपको वहां मरम्मत और साफ-सफाई का काम चालू मिलेगा। बंगलों को चमकाने के लिए वुड फ्लोरिंग [लकड़ी का फर्श] दीवारों की साज-सज्जा, जिप्सम बोर्ड व फाल्स सीलिंग, खिड़की-दरवाजों पर रंगरोगन जैसी तमाम चीजें कराई गई हैं। इन सब पर खासा पैसा खर्च हुआ है। सरकार ने 2004-05 में इन बंगलों के रख-रखाव पर 11 करोड़ रुपये खर्च किए। इसके अगले साल 9 करोड़, 2006-07 में 20 करोड़ व 2007-08 में 33 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
नई दिल्ली में विभिन्न मंत्रियों को 77 बंगले अलाट किए गए हैं। इनमें वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी का तालकटोरा रोड स्थित बंगला, कृषि व उपभोक्ता मामलों के मंत्री शरद पवार का जनपथ, रक्षा मंत्री ए के एंटनी का केएम मार्ग, गृहमंत्री पी.चिदंबरम का सफदरजंग रोड व रेल मंत्री ममता बनर्जी का बाबा खड़ग सिंह मार्ग का बंगला प्रमुख हैं।
 
घर नहीं बंगला चाहिए

इस बीच 100 नए लोकसभा सांसदों ने सरकार से अलाट घरों को बदलने की मांग की है। जबकि 36 अन्य पूर्व सांसदों द्वारा घर खाली होने का इंतजार कर रहे हैं। लोकसभा हाउसिंग कमेटी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मानदंडों के मुताबिक प्रत्येक सांसद को आवास आवंटित किए जा चुके हैं। लेकिन कई ने आवंटित घरों को लेने से मना कर दिया है। उनका कहना है कि बड़ा घर चाहिए। 100 सांसदों ने नार्थ व साउथ एवेन्यू में घर आवंटित करने की मांग की है जो संभव नहीं है। ऐसा करना नियमों का उल्लंघन होगा।
अधिकारी के मुताबिक 'पूर्व मंत्री व पहली बार लोकसभा सांसद [पटना साहिब] शत्रुघ्न सिन्हा को टाइप 7 बंगला आवंटित किया गया था। लेकिन उन्हें टाइप 8 बंगला चाहिए। इसी तरह भाजपा के नवजोत सिंह सिद्धू और अनुराग ठाकुर को उनकी पात्रता के हिसाब से घर दिया गया था। लेकिन उन्होंने बड़े आवास की इच्छा जताई। 18 सितंबर को भाजपा के राज्यसभा सांसद नंद कुमार साय को साउथ एवेन्यू स्थित सरकारी आवास से इसलिए बाहर कर दिया गया क्योंकि लोकसभा सदस्य नहीं होने के कारण वह उस बंगले में रहने के अधिकारी नहीं थे।
-------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
 सांसद जी, जिस देश में आज भी लाखो लोग सर के ऊपर एक अदना सी छत को तरसते हो, जिस देश में हर साल लाखो लोगो के बसे बसाये घर बाड़ में तबाह होते हो, जिस देश की जनता बेघर हो ........ क्या उस देश के सांसदों को अपने एशोआराम के लिए सरकारी खजाने का इस कदर दोरुपयोग करना चाहिए ?? 
खैर, जाने दीजिये .... आप नहीं दे पायेगे इस का जवाब !!! केवल 'मितव्ययता' के नाटक से कुछ नहीं होगा ... इस तरह हमारे पैसे लुटा चैन की नीद लेना बंद कर दो .....नहीं तो मेरे साथ साथ पूरा भारत यही कहेगा आपसे ........ जागो सोने वालों  .......
 

4 टिप्‍पणियां:

  1. कोई शक नहीं... आपकी बात सही है ...एक नयी पहल भी बेईमानी बन गयी

    जवाब देंहटाएं
  2. मितव्‍ययिता का नाटक ही है .. बिल्‍कुल सही परिभाषा !!

    जवाब देंहटाएं
  3. मुझे तो नेता और ये बड़े बड़े संत महंत एक ही सिक्के के चट्टे बट्टे है | जो जनता का खून चूसते हैं |

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणियों की मुझे प्रतीक्षा रहती है,आप अपना अमूल्य समय मेरे लिए निकालते हैं। इसके लिए कृतज्ञता एवं धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ।