"सभी
मरेंगे- साधु या असाधु, धनी या दरिद्र- सभी मरेंगे। चिर काल तक किसी का
शरीर नहीं रहेगा। अतएव उठो, जागो और संपूर्ण रूप से निष्कपट हो जाओ।
भारत में घोर कपट समा गया है। चाहिए चरित्र, चाहिए इस तरह की दृढ़ता और चरित्र का बल, जिससे मनुष्य आजीवन दृढ़व्रत बन सके।"
- स्वामी विवेकानन्द
स्वामी विवेकानन्द जी की १५४ वीं जयंती के अवसर पर उनको शत शत नमन |
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जागों सोने वालों ...
100वी पोस्ट की बधाई ।नमन स्वामी विवेकानन्द जी को । उनके नाम के साथ प्रोपेगेंडा करने के साथ साथ काश हम उनकी कही बातों पर भी अमल कर पाते अपने जीवन मूल्यों में ।
जवाब देंहटाएंस्वामी विवेकानन्द जयंती के अवसर पर शत शत नमन!
जवाब देंहटाएंविवेकानंद जी को मेरा भी श्रद्धा-सुमन।
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